ऋषिकेश में संपन्न गुरुदेव सियाग सिद्धयोग शिविर में देश-विदेश के कई साधकों ने प्राप्त किए सिद्धयोग के दिव्य अनुभव

ऋषिकेश अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र जोधपुर की प्रचार टीम के द्वारा बताया गया कि गुरुदेव सियाग सिद्धयोग कश्मीरी शैव दर्शन पर आधारित एक अनुपम साधना पद्धति है जिसमें गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के द्वारा दिए संजीवनी मंत्र के मानसिक जप और ध्यान से साधक की कुंडलिनी शक्ति जाग्रत होकर ध्यान के दौरान साधक के शरीर की आवश्यकता के अनुसार ऑटोमैटिक योग, प्राणायाम आसन, बंद, मुद्राएं करवाती है जिससे साधक सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक रोगों एवम् सभी प्रकार के नशों से स्वत: मुक्त होकर मोक्ष तक विकसित हो जाता है। यह सिद्धयोग नाथ पंथ की देन है योग के आदि गुरु भगवान शिव है। भगवान शिव से यह योग कलयुग के आदि गुरु मत्स्येंद्रनाथ जी योगी और फिर गुरु गोरखनाथ को प्राप्त हुआ। कालांतर में यह ज्ञान नाथपंथ के आईपंथी नाथ गुरु श्री गंगाईनाथ जी तक पहुँचा। श्री गंगाईनाथजी योगी ने अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र जोधपुर के संस्थापक एवम् संरक्षक पूज्य सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग पर अहैतुकी कृपा कर उन्हें यह दिव्य ज्ञान प्रदान किया,और फिर गुरु सियाग द्वारा इसे जन-जन तक पहुँचाया जा रहा है। यह दिव्य प्रसाद मानव मात्र को प्राप्त हो, इसी उद्देश्य हेतु योग नगरी हृषिकेश में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अवसर पर अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र जोधपुर द्वारा 1 से 12 मार्च तक गंगा रिजॉर्ट एवम् राम झूला पर गुरु सियाग सिद्ध योग शिविर का निःशुल्क आयोजन किया गया। इस आध्यात्मिक शिविर में देश-विदेश से आए हजारों साधकों ने भाग लिया और गुरुदेव सियाग के एक फोटो मात्र से ऑटोमैटिक ध्यान लगा और अध्यात्म के दिव्य अनुभव प्राप्त किए। एक अमेरिकन साधिका ने बताया कि उसे ध्यान के दौरान स्वतः यौगिक मुद्राओं का अनुभव किया जो उसके लिए एक अत्यंत गूढ़ और आध्यात्मिक अनुभव था।
