भोले के जयकारों के साथ खुले केदारनाथ धाम



विश्वप्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा ऊं नम् शिवाय जय श्री केदार के उदघोष के साथ आज शुक्रवार 2 मई को प्रात: 7 बजे बैशाख, मास, मिथुन राशि, वृष लग्न में विधि- विधान से खुल गये है।

इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कपाटोघाट्न के साक्षी बने कपाट खुलने के बाद पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से संपन्न हुई। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विशेष रूप से पूजा में शामिल है पूजा अभी संपन्न हो रही है।

मुख्यमंत्री ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है तथा प्रदेश की खुशहाली की कामना की आशा व्यक्त की कि इस यात्रा बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बाबा केदार के दर्शन को पहुंचेंगे। प्रदेश सरकार चारधाम में तीर्थयात्रियों को हर संभव यात्री सुविधायें मुहैया कराने हेतु प्रतिबद्ध है।
कपाट खुलने के अवसर हेतु श्री केदारनाथ धाम को 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे भी लगाये गये श्री केदारनाथ धाम में विगत दिनों से मौसम सामान्यतौर पर साफ है बर्फ दूर पहाड़ियों पर नजर आ रही है।

कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह पांच बजे से शुरू हुई यद्यपि सुबह चार बजे से श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति( बीकेटीसी )कर्मचारी मंदिर परिसर में तैनात हो गये थे।छ: बजे श्री केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारी बागेश लिंग, विधायक केदारनाथ आशा नौटियाल,जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती धर्माचार्यों वेदपाठीगणों भैरव नाथ जी के पश्वा अरविंद शुक्ला ने पूरब द्वार से मंदिर में प्रवेश किया तथा मंदिर के गर्भगृह के द्वार की पूजा-अर्चना में शामिल हुए।
आज कपाट खुलने के अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह,पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, मंदिर समिति प्रभारी अधिकारी/सहायक अभियंता गिरीश देवली, केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी धर्माधिकारी औंकार शुक्ला वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, पुजारी बागेश लिंग,वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, यशोधर मैठाणी, विश्व मोहन जमलोकी , देवानंद गैरोला,विपिन तिवारी कुलदीप धर्म्वाण, प्रकाश पुरोहित,उमेश शुक्ला सहित बड़ी संख्या यें तीर्थ पुरोहितगण, हकहकूकधारी, तथा तीर्थयात्री मौजूद रहे।

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