पानी पिलाने वाली गौला नदी का पानी हुआ प्रदूषित,पढ़े खबर
हल्द्वानी- शहर को पानी पिलाने वाली गौला नदी का पानी प्रदूषित हो गया है। गौला नदी के पानी में सेहत के लिए हानिकारक बैक्टीरिया की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। इसका खुलासा जल संस्थान की लैब में हुई गौला नदी के पानी की जांच में हुआ है।
जल संस्थान की जांच में हुआ खुलासा
जांच रिपोर्ट के मुताबिक 100 मिली पानी में बैक्टीरिया की मात्रा 5.2 एमपीएन (सर्वाधिक संभावित संख्या) हो गई है। वहीं पानी का मटमैलापन भी बढ़कर 25.7 एनटीयू हो गया है। इस स्थिति में नदी के पानी को सीधे पीने और नहाने के लिए प्रयोग करने की स्थिति में बीमार होने का खतरा है।
शहर के आधे से ज्यादा क्षेत्रों में गौला का पानी फिल्टर कर पेयजल आपूर्ति की जाती है। नदी के तट पर हर दिन दाह संस्कार भी होते हैं। इस दौरान नदी के पानी में न सिर्फ लोग नहाते हैं, बल्कि इसका आचमन भी करते हैं। जल संस्थान नदी के पानी की लगातार जांच करता है।
अगस्त महीने की जांच में पानी प्रदूषित मिला है। इसमें स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बैक्टारिया मिले हैं। जांच के अनुसार 100 मिली पानी में बैक्टीरिया की मात्रा 5.2 एमपीएन हो गई है। जबकि स्वच्छ पानी में ये बैक्टीरिया मौजूद नहीं होने चाहिए।
वहीं सिल्ट बढ़ने से नदी का मटमैलापन भी 25.7 एनटीयू हो गया है। जबकि गौला नदी में प्रायः इसकी मात्रा एक से पांच एनटीयू पाई जाती है। ऐसे में नदी का पानी प्रदूषित होने से इसे सीधे पीना और नहांना खतरनाक हो गया है।
फिल्टर प्लांट में साफ होता है पानी!
नदी का पानी प्रदूषित होने से जल संस्थान का खर्च भी बढ़ गया है। हर दिन फिल्टर प्लांट में पानी को साफ करने के लिए फिटकरी और क्लोरीन का उपयोग बढ़ गया है। ऐसे में विभाग को हर दिन औसतन 50 हजार रुपये की धनराशि खर्च करनी पड़ रही है।
प्रदूषित पानी पीने से रोगों का खतरा
प्रदूषित पानी के उपयोग से चर्म रोग, पेट के रोग, पीलिया, हैजा, दस्त, डायरिया, टाइफाइड होने को खतरा बना रहता है। इसका लंबे समय तक उपयोग करने पर चिकित्सकों के अनुसार गंभीर बीमार होने का खतरा बना रहता है।
जल संस्थान लैब केमिस्ट पंकज फुलारा ने बताया कि मानसून में नदी के पानी में बक्टीरिया और मंटमैलापन बढ़ गया है। अगस्त माह में की गई जांच में इनका स्तर बढ़ा हुआ पाया गया है।