ऊधमसिंह नगर में भी विदेशी फल ब्लूबेरी की होने लगी खेती

रुद्रपुर। विदेशी फल ब्लूबेरी की अब उत्तराखंड में भी खेती होने लगी है। तराई क्षेत्र के एक छोटे से गांव में पौधों एक
को पॉली हाउस में लगाया गया है जहां ब्लूबेरी की नर्सरी अब पेड़ का रूप लेने लगी है। इस साल मार्च अप्रैल के महीनों में
पेड़ों पर ब्लूबेरी फल देखने को भी मिले। हालांकि, अभी यह तरह तैयार नहीं हो सकी है लेकिन फार्मिंग कंपनी की ओर से इसकी खेती को करने के लिए कसरत की जा रही है।

प्रदेश के तराई क्षेत्र धान, गेहूं व गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है लेकिन अब अनाज की खेती के साथ-साथ किसान अपने खेतों में विदेशी फलों के बाग-बगीचे व पॉली हाउस में सुपर फूड की खेती की ओर रूचि लेने लगे हैं। सुपर फूड में से ही एक अमेरिकन ब्लूबेरी फल है। भारत में अमेरिका से ब्लूबेरी आयात किया जाता है लेकिन अब इसकी खेती उत्तराखंड में होने लगी है। वैज्ञानिक विधि से होने वाली इसकी फार्मिंग को एक निजी कंपनी की ओर से किया जा रहा है। पौधों पर आने वाले फल मैट्रोसिटी के बाजारों में उपलब्ध होंगे। मुख्य उद्यान अधिकारी ने बताया कि मखवारा फार्म में किसान की ओर से साल 2022 में करीब 33 एकड़ जमीन एक निजी कंपनी को बागवानी के लिए दी गई है। ब्लूबेरी फल बेहद महंगा है। जो एक हजार रुपये किलो या उससे अधिक दामों पर बिकता है।

अप्रैल और मई महीने के दौरान पौधों की रोपाई की जाती है। फरवरी-मार्च में फल टूटना शुरू हो जाता है जून तक जारी रहता है। वहीं, मानसून के आगमन के बाद ब्लूबेरी के पौधों की छंटाई की जाती है। छंटाई करने के दो से तीन महीने बाद सितंबर- अक्तूबर तक उसमें शाखाएं आने लगती हैं और फूल लगने शुरू भी हो जाते हैं। पूर्व सीएचओ भावना जोशी खेती का निरीक्षण कर चुकी हैं।

उत्तराखंड में पहली बार ब्लूबेरी की खेती जिले के मखवारा फार्म गांव में हो रही है। एक निजी एग्रो कंपनी की ओर से निजी तरीके से ब्लूबेरी की खेती की जा रही है। यहां पॉली हाउस व नेट हाउस की मदद से ब्लूबेरी के पौधे लगाए गए हैं। अमेरिकन फल होने की वजह से इसका भारत में आयात होता है। सुपरफूड से मुनाफे को देखते हुए किसान अब बागवानी की तरफ रुख करने लगे हैं। -प्रभाकर सिंह, मुख्य उद्यान अधिकारी

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