एक बार फिर राजनीती में सक्रिय हुए कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत,हरीश गुट में मची खलबली
साल 2024 में हुए लोकसभा चुनावों में नदारद रहे कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत एक बार फिर राजनीती में सक्रिय हो गए हैं. केदारनाथ बचाओ यात्रा में हरक सिंह रावत की उपस्थिति इस बात की तस्दीक करती है कि केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव को देख कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की सक्रियता में अचानक से तेजी आ गई है.
सूत्रों की माने तो हरक सिंह रावत की सक्रियता के पीछे कांग्रेस के एक गुट का अघोषित एजेंडा छिपा हुआ है. वो गुट 2027 की दावेदारी को देख अभी से हरक सिंह रावत को आगे कर पर्दे के पीछे से जाल बुन रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 में लंबी चुप्पी के बाद मंगलौर व बदरीनाथ उपचुनाव में एक्टिव हुए हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की केदारनाथ धाम बचाओ यात्रा में खूब नारेबाजी करते दिखे. जिससे माना जा रहा है कि हरक सिंह ने उपचुनाव में अपनी उम्मीदवारी का बिगुल फूंक दिया है.
हरीश रावत की ओर से बीते दिनों पहले एक बयान जारी किया गया था. जिसमें हरदा ने कहा था कि पार्टी को स्वच्छ और ईमानदार छवि के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए. हरीश रावत ने ये निशाना ईडी और सीबीआई जांच का सामना कर रहे हरक सिंह रावत पर साधा था. 2016 में हरदा सरकार के दौरान कांग्रेस में हुई बगावत के मुख्य सूत्रधार हरक सिंह की 2022 विस चुनाव से पहले कांग्रेस में वापसी को लेकर हरीश रावत ने अपना वीटो लगा दिया था.
विधानसभा चुनाव में हरक सिंह ने नहीं दिया था कोई योगदान
लंबे इंतजार के बाद हरक सिंह को इस शर्त के साथ कांग्रेस में एंट्री मिली कि वे खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और पार्टी प्रत्याशियों के जीत के लिए काम करेंगे, किंतु हरक सिंह लैंसडाउन के अलावा किसी भी उम्मीदवार के चुनाव प्रसार में नहीं दिखे. यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी नहीं जिन क्षेत्र के उम्मीदवारों ने कांग्रेस में वापसी के लिए उनकी पैरवी की थी. बताते चलें कि हरक सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपना कोई भी योगदान नहीं दिया था.
हरक सिंह रावत ने दी थी पूर्व सीएम को चुनौती
2024 में एक कार्यक्रम के दौरान हरक सिंह रावत ने हरीश रावत को चुनौती दे दी थी. हालांकि कांग्रेस के एक गुट का भी हरक सिंह को समर्थन मिला था, लेकिन हरीश रावत ने यहां भी हरक को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. हरीश रावत की राजनीतिक गणित के चलते हरक सिंह रावत को हरिद्वार से टिकट नहीं मिला. एक बार फिर केदारनाथ में होने वाले चुनाव में रोड़ा डाल दिया है.
गणेश गोदियाल को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
दूसरी ओर कांग्रेस का एक गुट आगे की सोचकर हरक को शह मात के खेल में बनाए रखना चाहता है. इस गुट के निशाने पर गणेश गोदियाल बताए जाते हैं. अगले विस चुनावों में अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो साफ़ छवि को देखते हुए गणेश गोदियाल को पार्टी में अहम जिम्मेदारी मिल सकते है. ऐसे में उनकी दावेदारी को हरक सिंह रावत ही चुनौती दे सकते हैं. इसलिए एक गुट हरक की अंत तक पुरजोर पैरवी करेगा. वैसे भी गोदियाल हरीश रावत के भरोसेमंद माने जाते हैं. इसलिए हरदा गोदियाल को समर्थन दे सकते हैं